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Saturday, October 31, 2020

फ़्रांस की लड़ाई आपकी अपनी लड़ाई है।

फ्रांस को उसके लड़ाई में सपोर्ट करे और अपने देश कि रक्षा करें क्युकी ये सिर्फ उनकी नहीं आपकी भी लड़ाई है।


 श्रीलंका के बाद जिस तरह से फ्रांस इस्लामिक कट्टरता का पैर अपने सरजमीं से उखाड़ रहा है वो दुनिया में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। फ्रांस एक बार फिर दुनिया का अगुवा बन कर खड़ा है और दुनिया पीछे से उसे समर्थन कर रही है। विश्व के इस्लामिक देशों को छोड़ दे तो लगभग सभी देश इस्लामिक आतंकवाद और कुरान के गलत व्याख्यान से परेशान है। यद्यपि मैंने आज तक कुरान पढ़ा नहीं है लेकिन मै दावे के साथ बोल सकता है कि कुरान को गलत व्याख्या कर लोगो को बरगलाया और भटकाया जा रहा है। वरना कोई भी धर्म बेगुनाहों को मारना नहीं सिखाता। दुनिया चाहती तो इसे आरम्भ में ही रोक सकती थी लेकिन  महातीर मोहम्मद जैसे  लोग सबको उसका कर जबरन आतंक फैलाने की साज़िश रचते हैं। इन जैसे लोगो को पर्दे के पीछे से खेलना पसंद होता है। लेकिन इस बार उम्र ने भी धोका दे दिया और किसी आतंकी समूह के मुखिया के तरह महातिर ने धड़ाधड़ 13 ट्वीट कर डाले। जिसमे से एक ट्वीट था ' मुसलमानों को लाखो फ्रांसिसी को मारने और गुस्सा करने का अधिकार है। ''
इसके बाद ट्विटर ने खुद संज्ञान लेते हुए महातिर के इस ट्वीट को हटा दिया लेकिन बात यही थमती नजर नहीं आ रही। लोगो की मांग है कि महातिर के अकाउंट को भी सस्पेंड किया जाए। वैसे आइए जानने की कोशिश करते है इस्लामिक एस्टेट  और उसके पैरोकारों की क्रोनॉलजी को।

फ्रांस की लड़ाई आपकी अपनी लड़ाई है।

 जब जब कोई बॉम्ब धमाका होता है तब तब विरले ही आपने किसी महातिर को उसकी निंदा करते हुए देखा होगा लेकिन जब भी किसी आतंकवादी को कोई देश सजा देता है तो इन जैसे लोग बखेड़ा खड़ा कर देते हैं। इसी तरह का गैंग भारत में अलग अलग जगह अलग अलग भेष में खड़ा है। कहीं जामिया मिलिया का स्टूडेंट बन के तो कहीं जेएनयू का प्रोफेसर बन के, कहीं वामपंथियों का कॉमरेड बन के तो कहीं टुकड़े टुकड़े गैंग बन के। आपको पुलवामा हमला याद है? नहीं याद है तो फिर याद कीजिए। और बताइए की कितने वामपंथियों या टुकड़े टुकड़े गैंग के लोगो ने आतंकवादियों कि निंदा की थी नहीं किसी ने नहीं । लेकिन यही गैंग आज कॉलेज कैंपस में फ्रांस का विरोध कर रहा है। ये फ्रांस का विरोध इसलिए नहीं कर रहे क्युकी इन्हे फ्रांस से वह के कानून से मतलब है बल्कि ये पाकिस्तान के कबूलनामें को ढकने के लिए व्यर्थ का नाटक पसार रहे हैं। ताकि भारतीयों का ध्यान पाकिस्तान के पुलवामा कबूलनामें पर से हट जाए और फ्रांस पर टिक जाए। ये पाकिस्तान को बचाने की साज़िश है जो भारत में रह रहे गद्दार कर रहे हैं। 

  दुनिया के किसी इस्लामिक देश ने फ्रांस में शिक्षक के हत्या  किए जाने पर आतंकवाद कि निंदा नहीं की थी लेकिन फ्रांस के द्वारा उठाए गए कदम पर जोर जोर से भौंकने लगे। यही कारण है कि आतंकवादी अपने पीछे से हो रहे समर्थन के कारण और ज्यादा हत्याएं और आतंक फैलाते हैं। पहले तो अमेरिका के व्यपारवाद ने  आतंकियों को हथियार मुहैया कराए फिर जब उसी के सांप ने उसे डसना शुरू कर दिया तो वो आतंक के खात्मे के लिए बाजार में उतर पड़ा। खूब हथियार भेजे, सैनिक भेजे, सैनिकों की कुर्बानी दी लेकिन नतीजा क्या निकला ढाक के तीन पात। चरमपंथी अपना क्षेत्र विस्तार करते गए । युवाओं को बहला फुसलाकर जोडते गए और अब दुनिया के सामने चरमपंथ ऐसा संकट आ खड़ा हुआ है कि उसे रोकना मुश्किल है। म्यांमार को है ले लीजिए। पहले तो उसने शरणार्थियों को शरण दिया। लेकिन जब शरणार्थी ही आतंकवादी बन गए तो वहां के सरकार और फौज ने उन्हें खदेड़ बाहर किया। बौद्ध जो की शांति के प्रतीक माने जाते हैं उन्हें भी हथियार उठाने को मजबूर कर दिया गया। अगर आप ब्रिटेन के संसदीय व्यवस्था को गौर से देखेंगे तो आपको दिखेगा की हर डिसीजन मेकिंग में इस्लाम का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ये लोग एक पैटर्न पर काम करते हैं। 18 वीं शताब्दी में ये फौज लेकर कहीं घुसते थे और वहां अपनी जनसंख्या बढ़ाकर वाह सालो तक शासन करते थे। लेकिन अब वो तरीका बदल गया। अब ये शरणार्थी बनकर किसी देश में घुसते हैं वहां अपनी जनसंख्या बढ़ते हैं और फिर वहां पॉलिसी मेकिंग से लेकर डिसीजन तक को प्रभावित करते हैं। जैसा कि आपने भारत में भी देखा होगा इनका वोट एकमुश्त पड़ता है और अगर ये एक बार 30 प्रतिशत के आस पास पहुंच जाते हैं तो फिर किसी भी देश में ये अपनी सरकार बना लेते हैं और वह के सारे नियम कानून इनके हिसाब से चलता है।  अगर ये 50% या उसके आसपास भी पहुंच गए तो फिर उस देश को इस्लामिक देश बनने से कोई नहीं रोक सकता। 

 इसीलिए जरूरत है आज समय कि मांग भी है कि अगर आप अपने धर्म अपने समुदाय को ऐसे ही देखना चाहते हैं। नहीं चाहते कि भारत का हिन्दू भी पाकिस्तानी हिन्दू की तरह कराहे। अगर आप अपने बाल बच्चों को हिन्दू ही देखना चाहते हैं तो  आज सही समय है जनसंख्या नियंत्रण कानून पास करे। और बढ़ती जनसंख्या पर अविलंब अंकुश लगा कर अपने देश को फ्रांस ना बनने दे। नहीं तो फिर कोई व्यक्ति कुछ भी बोलेगा और अपने घर में ही हलाल कर दिया जाएगा, फिर कोई दिल्ली के शाहिंबाग से भारत को चिकेन्नेक से तोड़ने कि शाजिश रचेगा, फिर कोई  पंडित अपने है घर से भगा दिया जाएगा और  आप देखते ही रह जाएंगे और आपका देश इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा। तो आइए आगे बढ़िए और फ्रांस का समर्थन कीजिए । सड़कों पर उतर कर नहीं बल्कि डिजिटल माध्यम से। भारत के तरफ से ट्रेंड कराए #wesupportfrance।   वैसे भारत सरकार और अन्य सभी देशों को फ्रांस का समर्थन करने के लिए साधुवाद।


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