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Wednesday, June 03, 2020

भारत को न्योता, भारत के एंट्री से G-7 बनेगा G-10

G-7 अर्थात  ग्रुप ऑफ सेवन (7 का समूह) दुनिया की 7 सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं  का समूह है जो वैश्विक सम्पत्ति के  62% अर्थात 280 ट्रिलियन डॉलर का प्रतिनिधित्व करता है। G-7 यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व भी करता है। इसमें  कनाडा, जापान, फ्रांस, इटली,यूनाइटेड किंगडम ब्रिटेन, जर्मनी और संयुक्त राज्य  अमेरिका शामिल है। 


भारत को G-7 में शामिल होने का न्योता

भारतीयों के लिए खुशी की खबर ये है कि बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में जहां रूस को G-7 में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा वहीं भारत को  को G-7 में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया है। भारत की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती धमक से पड़ोसी देश चीन को मिर्ची लग गई है।कोराना और चीन की विस्तारवादी नीतियों को देखते हुए विश्व चीन के विकल्प के रूप में भारत को देख रहा है। जहां चीन की बढ़ती ताकत से दुनिया के देश बेचैन हो रहे हैं वहीं भारत की मैत्री की नीति ने उसे G-7 में शामिल होने का मौका दे रही है जिसमें चीन भी नहीं है। 

G-7 के क्या क्या है फायदे होंगे भारत को

जैसा कि हम जानते हैं G-7 विश्व की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का समूह है तो भारत के 


G-8 बन गया था G-7

आपको बताते चले की G-7 कोराना पहले G-8 हुआ करता था। लेकिन रूस ने जब यूक्रेन के कुछ इलाकों को हथिया लिया था तब बाकी देश उससे नाराज़ हो गए और 2014 में  रूस को निकाल कर बाहर कर दिया। सबसे मजे की बात यह है कि उस साल G-8 समिट रूस में 4-5 जून को होना  ही तय हुआ था। रूस को G-8 से निकले जाने से G-8 बन गया G-7 और समिट हुआ बेल्जियम के ब्रूसेल्स में। 

इतिहास G-7 का
 
साल 1975, शीत युद्ध का समय, दुनिया समाजवाद और पूंजीवाद दी धरो में  बंट गया था। उसी समय 6 पूंजीवादी देश इक्कठा हुए और ग्रुप बनाया G-6। ग्रुप बनने के बाद तय हुए की ये देश अपने कारखानों, खाते बही, राजनीति और सुरक्षा बात करके एक दूसरे का सहयोग करेंगे और तभी से हर वर्ष ये देश साल में एक बार मिलते है जिसे G-7 समिट कहा जाता है। अगले ही वर्ष अर्थात 1976 में कनाडा भी इस ग्रुप में शामिल हो गया और तब इसे कहा जाने लगा G-7। उसके बाद 1991 में रूस के टूटने के बाद पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी मिल गए तब रूस भी इसमें मिल गया और G-7 बन गया G-8।  फिर 2014 में रूस के हटने के बाद फिर से ये G-7 बन गया। 
बताते चले कि हालांकि अभी भारत G-7 का सदस्य नहीं है लेकिन इस बार भारत को इस समिट में शामिल होने का न्योता मिला है। यूरोपियन यूनियन भी G-7 का सदस्य है। बाकी देश के राष्ट्र अध्यक्षों के साथ साथ यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष भी G-7 के सदस्य हैं। 

आरोप और आलोचना होती है कि भेदभाव करता है। कहा जाता है कि देश खुद को प्रीमियम समझते हैं। दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्था होने के बाद भी चीन को इसमें शामिल नहीं होने दिया जाता। वैसे बताते चले कि रूस को इसमें शामिल करने का अमेरिका का प्लान था ताकि रूस के बही खातों का हिस्बा रख उसपर काबू पाया जा सकें।

भारत के साथ साथ 2 और देश होंगे शामिल

भारत के साथ साथ दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने कि बात चल रही है अगर ऐसा होगा तो  वर्तमान में जिसे हम G-7 के  नाम से जान रहे हैं वो G-10 बन जाएगा। वैसे इस बार दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ चीली को भी फ्रांस ने न्योता भेजा है।


आशा करते हैं भारत मैन्युफैक्चरिंग और अर्थव्यवस्था में भी विश्वगुरु बन जाएगा।





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