।। गणेश वंदना।।
प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् ।
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड–माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ।।
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
।। आरती ।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत, चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।। जय.....
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बाझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।। जय....
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डूअन का भोग लगे, संत करें सेवा।। जय....
दीनन की लाज राखो, शंभू - सुत वारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी।। जय...
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