आइए पर्दा उठते हुए आपको बता दे की मोहतरमा का नाम है
सफुरा जरगर।
अब आते हैं उन सवालों पर जो बहुत दिनों से उठ रहे थे। क्या ये बात सच थी की शाहीन बाग़ वैश्यावृति का अड्डा बन गया था? क्या यही कारण था कि निष्पक्ष पत्रकारों को वहां नहीं जाने दिया जाता था या अगर वो चले गए तो उन्हें पिटा जाता था? क्या ये बात सच है कि वहां फंडिंग लाने का स्रोत वैश्यावृति थी? क्या बिरयानी के बदले वहां जिस्म बेचा जाता था? क्या यही कारण है की वहा बिरयानी अपने आप गिरे मिलते थे जिसे लोग अल्लाह की मेहरबानी समझते थे? क्या वहा बाप को बिरयानी खिलाई जाती थी और बेटी के कपड़े उतारे जाते थे?
ये सिर्फ सवाल है जो आर्यावर्त न्यूज नहीं भारत का हर वो सख्श पूछ रहा है जिसको इसके बारे में पता चला है। वैसे ये बात तो सच है कि सच कभी ना कभी बाहर आ ही जाता है। और ऐसा जब सामने आता है तो हैरानी नहीं होती क्युकी सबको अंदर से पता होता है लेकिन सिर्फ पुष्टि होनी बाकी रह जाती है। देखना ये है कि क्या करोना के बाद फिर से बाप अपनी बेटियों को , पति अपनी पत्नी को और भाई अपने बहन को शाहीन बाग़ भेजता है( जिन लोगो ने पहले भेजा था वो लोग)। अगर हा तो ये फरमान जारी हुआ होगा और अगर नहीं तो समाज का एक तबका जागरूक हो गया होगा। अगर हा तो वो सरकार का विरोध करने किसी भी हद तक जा सकते हैं अगर नहीं तो ये पता चलने लगेगा कि उनको भी अपनी बहन बेटियों से प्यार है।
वैसे एक खबर अभी अभी मिली है कि बच्चे के मामू ने उसका नाम तैमूर रखने की पेशकश की है लेकिन उसकी अम्मी उसका नाम मौलाना साद रखने की जिद पे अडी हुई है।
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