ब्लैक फंगस कैसे फैलते हैं
कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमितों में ब्लैक फंगस काफी देखने को मिल रहा है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि कोरोनावायरस की तरह ब्लैक फंगस में भी एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। इसका इलाज कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि यह कोरोना की तरह संक्रामक नहीं है और एक से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलता है। यह फंगस पहले से हमारे बीच हवा, मिट्टी, ऐसी गंदगी वाली जगहों में मौजूद थे। इस फंगस से उन लोगों को सतर्क रहना चाहिए, जिनकी इम्युनिटी बहुत कमजोर है।
दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के ईएनटी डिपार्टमेंट के हेड डॉ मनीष मुंजाल कहते हैं कि ब्लैक फंगस के बीच हवा में उड़ रहे होते हैं, जो हमारे नाक में चले जाते हैं। हालांकि नाक में कई ऐसे सेल होते हैं जो इसे नष्ट कर देते हैं। जिन लोगों की इम्युनिटी कम होती है उनके नाक के सेल इन्हें नष्ट नहीं कर पाते और यह बड़ी ही आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। उनके अंदर यह जल्दी ग्रो कर जाते हैं। अब कोरोना के कारण मरीज की इम्युनिटी और कम हो जाती है तो ये फंगस हावी हो जाता है। ऐसे में उन लोगों को ज्यादा खतरा है जो शुगर का मरीज है, कोशिश पेशेंट है और उसकी इम्यूनिटी कम है हालांकि अगर समय रहते इसका पता लग जाए तो एंटीफंगल दवा से इसका इलाज संभव है।
थोड़ी सी सावधानी से ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है
ब्लैक फंगस से बचने के लिए जरूरी है कि अच्छी क्वालिटी का मास्क पहने। इससे फंगस के बीज नाक में नहीं जाएंगे।
कहीं भी किसी भी काम के लिए बाहर निकले तो शारीरिक दूरी बना कर ही रखे।
घर में लगे एसी कूलर की सर्विस और सफाई का खास ध्यान रखें ।समय समय पर साफ सफाई करते रहे।
अगर घर में किसी कोरोना संक्रमित को ऑक्सीजन सिलेंडर लगा है तो थोड़े थोड़े समय पर पाइप बदलते रहे।
सबसे अहम यह है कि खांसी जुकाम व बुखार में self-medication ना करें दवा का मिक्सचर ब्लैक फंगस को ग्रो करने में मदद करती है।
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है? अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है।
इसके लक्षण क्या हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।
ज्यादा स्टेरॉयड देने पर ब्लैक फंगस का खतरा
कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इसके चलते मरीजों की मौत तक हो रही है। एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, आमतौर पर पांच से 10 दिन तक ही स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है, इससे ज्यादा दिनों तक मरीज को यह दवाएं दी जाएं तो ब्लैक फंगस की आशंका काफी बढ़ जाती है। स्टेरॉयड दे रहे हैं तो मरीज की पूरी निगरानी करना भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है।
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