चीन समेत 15 देशों ने सबसे बड़े व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, जानें विस्तार से
ASEAN के सदस्य देशों और चीन समेत कुल 15 देशों ने 15 नवंबर 2020 को विश्व के सबसे बड़े व्यापार समझौते क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) का गठन करने पर वर्चुअल तौर पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके दायरे में विश्वभर की लगभग एक तिहाई आर्थिक गतिविधियां आएंगी।
इस समझौते को चीन के लिए एक बड़ा गेमचेंजर के तौर पर देखा जा रहा है। कई एशियाई देशों को उम्मीद है कि इस समझौते के बाद से कोरोना वायरस महामारी की आर्थिक मार से तेजी से उबरने में सहायता मिलेगी। इस क्षेत्रीय साझेदारी के जरिए चीन की कोशिश एशियाई बाजारों एवं व्यापार में अपना दबदबा बढ़ाना है।
शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता
विशेषज्ञों के अनुसार, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP)- जिसमें चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ दस दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। जीडीपी के संदर्भ में दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है। वियतनाम के प्रधानमंत्री ने चौथे क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की।
पहली बार 2012 में समझौता
पहली बार 2012 में प्रस्तावित, इस सौदे पर आखिरकार दक्षिण-पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन (आसियान सम्मेलन) के अंत में मुहर लगा दी गई थी क्योंकि सदस्य देशों के नेता महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए इसे कारगर मान रहे हैं।
समझौते से संबंधित कुछ तथ्य
समझौते के तहत सदस्य देश टैरिफ कम करेंगे और व्यापार सेवा के रास्ते खोलेंगे। इस समझौते में अमेरिका को शामिल नहीं किया गया है। लिहाजा, इसे चीन के नेतृत्व में एक वैकल्पिक व्यापार समझौता समझा जा रहा है। इस समझौते में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP): एक नजर में
आसियान समूह के दस देशों को लेकर इस साझेदारी पर चर्चा की शुरुआत सबसे पहले साल 2012 में हुई थी। इनमें चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश शामिल हैं। भारत को भी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) पर हस्ताक्षर करना था लेकिन उसने पिछले साल खुद को इस साझेदारी से अलग कर लिया था। RCEP का लक्ष्य कंपनियों की लागत और समय में कमी लाना भी है।
भारत ने क्यों खुद को अलग किया
भारत ने इस साझेदारी के तहत मार्केट एक्सेस का मुद्दा उठाया था और इस बात की आशंका जतायी थी कि देश के बाजार में अगर चीन के सस्ते सामानों का दबदबा हो जाएगा तो भारत के घरेलू उत्पादकों एवं विनिर्माताओं पर बहुत अधिक असर पड़ेगा। विशेषकर टेक्सटाइल, डेयरी और कृषि सेक्टर को लेकर यह आशंका जाहिर की गई थी।
आसियान (ASEAN) के बारे में
ASEAN का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है जो एशिया-प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये स्थापित किया गया था। आसियान के दस देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया है।
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