भोजन मंत्र
मनुष्य हो या कोई जीव, सभी के लिए 3 चीज अती आवश्यक है। एक वायु स्वास के लिए, जल और भोजन। इन वस्तुओं को अगर स्वक्षता से लिया जाए तो शरीर और चित प्रसन्न रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। मुखारविंद तेजमय रहता है।
भोजन ग्रहण करने से पहले अन्नदाता को प्रसन्न में से धन्यवाद करना चाहिए क्युकी जिस समय आप भोजन कर रहे होते हैं ना जाने कितने लोग भूखे होते हैं। अतः कभी भी भोजन करने से पहले नैवेद्य देकर नीचे लिखे हुए मंत्र को पढ़कर और। परमात्मा को धन्यवाद् करके ही भोजन करना चाहिए।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
No comments:
Post a Comment
कोई भी परेशानी हो तो बताने कि कृपा करें। नमस्कार।।