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Wednesday, November 11, 2020

इन चार नियमो को अपनाओगे तो रोग कभी छु भी नहीं पाएगा।

                                                                              जय श्री गणेश 

 जीवन में 3 चीज़ो को जिसने अपने वस् में कर लिया, उसे कोई भी रोग छू नही सकता और वो तीन चीज़ है :- कफ, पित्त, वात |  कफ़ तो आप सब को आई ही होगी, कफ के बिगड़ने  से 28 रोगो का  आगमन होता है , वात के बिगड़ने से 80  रोगो का आगमन होता है और अगर पित्त  बिगड़ जाए तो  46 -50 रोगों तक का आगमन होता |  और तीनो के बिगार्ने से लगभग 180 रोगों का आगमन होता है जिसमे सर्दी जुकाम से लेकर कैंसर तक शामिल है|  


 तो आइये आज हम आपको मात्रा 4  नियम बताते हैं जो बिना पैसा खर्च किये बस थोड़ी सी सावधानी  दिखाने से आपके शरीर को 180 रोगो से मुक्त कर देगा और आपके पैसे के साथ साथ आपके समय को भी बचाएगा| क्युकी हम और आप तो जानते ही है की अगर एक बार डॉक्टर का चक्कर लगाना पड़ा तो फिर  गरीब , क्या पैसा क्या समय , सब जाता है|  तो  उन 4 नियमों को जो 180  बिमारिओं से बचाएंगे | 

इन चार नियमो को अपनाओगे तो रोग कभी छु भी नहीं पाएगा।


भोजन से पहले इस मंत्र का करे उच्चारण, कभी भूखे नहीं रहेंगे।


1. खाना खाने के तुरंत  बाद पानी नहीं पीना चाहिए |    

आप भी अगर खाना खाने के तुरंत बाद या खाना खाते समय बिच बिच में बार बार पानी पीते हो तो सावधान हो जाओ| आज से ही खाना खाते समय पानी पीना छोड़ दो | खाना खाने के कम  से कम 1 घंटे तक पानी पीने की मनाही हमारे शास्त्रों में है | तो आज से ही गांठ बांध ले की खाना खाते समय या  तुरंत बाद  पानी  है | 

महर्षि बाघभाट्ट के अनुसार ;-  भोजनान्ते विषम वारि | 

 अर्थात  भोजन के अंत में पानी पीना ज़हर  पिने के समान  है |   

जब हम भोजन  करते हैं तो भोजन विभिन्न  ग्रंथियों से होता हुआ जठर ग्रंथि अर्थात अमाशय में पहुँचता है जिसे अग्नाशय भी कहते हैं |  जब भोजन अग्नाशय में पहुँचता हैं तो वहाँ उस भोजन को पचाने के लिए अग्नि जलती है| ये आग वैसी ही होती है जैसी आपके किचन में  भोजन पकाने के लिए  आग जलती है | अगर आपके किचन के आग पे पानी डाल दिया जाए तो क्या भोजन पक  पायेगा? हमारे शरीर का अग्नाशय भी आपके चूल्हे के तरह होता है और वह जो अग्नि जलती है वो भी उसी प्रक्रिया से  भोजन को पचाती  है|  हम जैसे ही भोजन करते हैं और भोजन हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो भोजन के मात्रा के हिसाब से अग्न्याशय अग्नि उत्पन्न करता है और फिर धीरे धीरे पाचन शुरू करता है | ये प्रक्रिया सामान्य  पदार्थो के लिए अर्थात सामन्य भोजन के लिए 1 घंटे की होती है |अतः कहा गया है की भोजन करने के 1 घंटे के बाद तक किसी भी स्थिति में जल ग्रहण ना  करें ,हां अगर मरने मारने वाली नौबत आ गयी तो बात अलग  है |  भोजन के बिच में या भोजन के बाद कभी भी ठंडा जल अर्थात बर्फ दिया हुआ या फ्रिज का जल कभी नहीं पीना चाहिए | अगर लम्बा जीना चाहते हैं तो आज ही फ्रिज के जल को टाटा बाई बाई बोल दे वरना  आपको अलग अलग बीमारियों से  कोई नहीं बचा सकता | |   गर्मी के दिनों में ठंण्डा पानी पिने के लिए मटके का पानी पी सकते हैं | खाना शुरू 40 मिनट पहले पानी पिए | अगर आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी पिटे  खाना और जब खाना पचेगा नहीं तो वो सड़ेगा और सदा हुआ भोजन विष सामान होता है और १००० तरह की बीमारियों  को जन्म  देता है | गैस, पेट फूलना इत्यादि इन्ही के कारन जन्म लेती है |  


 खाना खाने के बाद आप दही की लस्सी या मत्था , फलो का रस  या जूस या दूध  सकता है | सुबह सुबह रस या जूस , दोपहर में मत्था या लस्सी और रात के भोजन के बाद दूध  श्रेयकर है | 

इन चार नियमो को अपनाओगे तो रोग कभी छु भी नहीं पाएगा।

2. पानी घुट घुट करके धीरे धीरे चुस्की लेकर पिए | 

जब भी पानी पिए तो एक बार में घटघट करके नहीं धीरे धीरे चुस्की लेकर पिए || जैसे आप गरमागरम चाय पीते हैं| मुँह में एक बार में गिलास लगाकर घटघट पानी पीना छोड़ दो | जब हम पानी पीते हैं तो पानी हमारे मुँह के लार के साथ मिलकर पेट में जाता है | मुहं का लार गुण  में क्षारीय होता है और पेट में अम्ल होता है जब अम्ल और क्षार का मिलान होता है तो वो न्यूट्रल हो जाता है | जिससे आपको कभी भी एसिडिटी अर्थात अम्लता नहीं होगी | जब पेट में अम्लता नहीं होगी तो खून में अम्लता नहीं होगी | और अगर खून में अम्लता नहीं होगी तो कफ,पित्त और वाट आपको कभी परेशां नहीं करेंगे | विश्व में मनुष्य को छोर कर कोई भी जीव एक बार में घटघट करके पानी नहीं पीते सब जीभ से चाट चाट करके या घुट घुट करके पानी पीते हैं |  चिड़िया भी बून्द बून्द  करके पानी पीती है लेकिन हम मुर्ख मनुष्य जल्दी जल्दी पानी पीकर डॉयबिटीज़ 'गठिया  विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं | 

3. कभी भी ठंडा पानी ना पिए | 

जिंदगी में कुछ भी हो जाए कितना भी प्यास लग जाए , फ्रिज का या बर्फ दिया हुआ पानी न पिए | वाटर कूलर का पानी भी न पिए | आपके शरीर के तापमान से जितना बराबर का हो सके उतनी बराबरी का पानी पिए या सामान्य तापमान वाला पानी पिए |  जब ठंडा बर्फ वला पानी हमारे शरीर में पहुंचता है तो वो हमारे अग्नाशय और शरीर को ठंडा करने की कोशिश करता है और हमारा शरीर पानी को गर्म।  और यह हमारे शरीर और पानी में द्वंद्व शुरू हो जाता है जिससे हमारे शरीर को काफी नुकसान होता है और कफ जैसी समस्याएं शुरू होती है। यह पानी हमारे गर्म रुधिर को भी ठंडा करने लगता है जिसके कारण रक्तचाप कि बीमारियां भी आती है। एक बार ठंडे पानी ने आपके शरीर को ठंडा कर दिया फिर आपको अपने लोग घर में भी नहीं रखेंगे, निकल के बाहर कर देंगे और लोग बोलने लगेंगे कि जाओ जल्दी से इसको जला के लाओ। फ़ेसबुक पे लंबा लंबा पोस्ट लिख के आपको श्रद्धांजलि दी जाएगी। तो ठंडा पानी क्यू पीना है भाई? गर्मी के दिनों में अगर आप ठंडा पानी पीना चाहते हैं तो घड़े का पानी पिए जो संतुलित तापमान रखता है वरना हमेशा सामान्य पानी पिए। 

इन चार नियमो को अपनाओगे तो रोग कभी छु भी नहीं पाएगा

4. सुबह सवेरे सो कर उठते ही सबसे पहले पानी पिए।

 सुबह में आप जैसे ही उठे सबसे पहले पानी पिए। सुबह में किसी भी अन्य पदार्थ को लेने से पहले पानी 2 से 3 ग्लास अवश्य पिए। इसके दो फायदे हैं पहला आपके मुंह में रात भर में जितना भी लार जमा होता है जो कि क्षारीय होता है वो आपके पेट में पहुंचता है और दूसरा पानी आपके भोजन के रास्ते को साफ करके अमाशय को भी भिंगा देता है जिससे आपको तीव्रता से शौच लगता है। और जिसका सुबह सुबह एक बार में पेट साफ़ हो गया उसे दुनिया की आधी बीमारी वैसे ही नहीं आती। उसका पित्त, वात और कफ हमेशा सही रहता है। कभी शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं आती। मन प्रफुल्लित रहता है। 



इन चार नियमो को अपनाओगे तो रोग कभी छु भी नहीं पाएगा।

ये चारो आयुर्वेद के नियम अगर आपने अपना लिया तो गारंटी है कि आपको 180 बीमारियां जो की पित्त, कफ और वात से होता है वो नहीं होगा। आप 50 वर्ष में भी जवान दिखोगे और दुनिया आपकी मुट्ठी में होगी। किसी भी दवा की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी और समय और पैसा दोनों बचेगा। 


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