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Friday, November 13, 2020

अधिक जनसख्या(Excess population)

         किसी देश में अनुकूलतम जनसंख्या वह होती है जो उसके अधिकतम संसाधनों का अधिकतम दोहन कर सकने वाली न्यूनतम जनसंख्या हो। इस दृष्टि से भारत की स्थिति के संबंध में यह माना गया है कि यद्यपि अभी तक हमने संसाधनों का अधिकतम दोहन नहीं किया है,किंतु उनकी तुलना में जनसंख्या की अधिकता निर्विवादित रूप से प्राप्त कर ली है। दुनिया भर के क्षेत्रफल व व्यापार में भारत का जितना हिस्सा है उससे कई गुना अधिक हिस्सा जनसंख्या का है । ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2025-2050 के बीच भारत की जनसंख्या चीन से भी अधिक हो जाएगी क्योंकि चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 1%पर सीमित हो गई है जबकि भारत की  2011 में औसत वार्षिक जनसंख्या दर  1.64% है । ऐसी स्थिति में भारत की जनसंख्या 34 वर्षों में दोगुनी हो जाएगी जबकि चीन की 60 वर्षों में दोगुनी होगी । जनसंख्या की अधिकता से आने वाले वर्षों में भीड़ भाड़,अपराध,महंगाई,आवास आदि की समस्याएं तेजी से बढ़ सकती है।

कारण:-
 1.मृत्यु दर की तुलना में जन्म दर का अधिक होना।
2. प्रायः कम उम्र में विवाह करने की सामाजिक मान्यता  । 3.धार्मिक अंधविश्वास तथा धर्मों का जनसंख्या नियंत्रण में सहायक ना होना ।
4.निरक्षरता की अधिकता, जिस कारण जनसंख्या कम करने की चेतना का अभाव होना ।
5. पितृसत्तात्मक समाज होने के कारण पुत्र प्राप्ति की        प्रबल चाह।
6.आर्थिक विकास की कमी ।
7.जीवन प्रत्याशा का धीरे-धीरे उच्च स्तर पर आना। 8.जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त वैज्ञानिक सुविधाओं का अभाव।
9. जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों के संबंध में आम लोगों तक जानकारी का ना पहुंच पाना।
10. निम्न वर्गों के लिए बच्चों का अर्जक के रूप में होना ।11.महिलाओं में विवेक पूर्ण धारणा का होना। 
12.ग्रामीण महिलाओं को यह विश्वास नहीं होना कि उनका बच्चा जीवित रहेगा ही ।
13.अधिक बच्चों को जन्म देने में विश्वास रखना एवं कृषि पर निर्भरता आदि प्रमुख है।
            भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार 68.8% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जबकि 31.2%जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवासित है।गांव और शहर में मूलभूत अंतर यह है कि शहर में कम से कम तीन चौथाई लोग द्वितीयक तृतीयक क्षेत्र पर निर्भर होते हैं जबकि गांव में वे प्राथमिक क्षेत्रों पर निर्भर होते हैं। गांव में पूंजी के अनुपात में लाभ की दर सबसे कम होती है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार का विकास करके ग्रामीण व प्राथमिक क्षेत्र के व्यक्तियों का उनमें नियोजन कर बेहतर स्थिति उत्पन्न की जा सकती है।
                                                      ✍️  सुधांशु 
                

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